बगिया में बहार, खेत पूरबी बयार हय
अमवां के पेड़वा पर मांजर तैयार हय
गेंहुवा के बाली बहुते लहलहात हय
सरसो के अलसी भी गजबे मुस्कात हय
कुहके कोयलिया, तनिकों न लजात हय
खेत देख किसनमा के हिय न अघात हय
प्रकृति बनी दुल्हिन, बसंत के इंतजार हय
बाकि,बसंते के स्वागत में साजल बधार हय
:- रौशन
©रौशन कुमार प्रिय
#बसंते के स्वागत में..
(मेरी चार सौंवी कविता)
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