White पल्लव की डायरी कानूनों से हाथ बाँधकर अराजक व | हिंदी कविता

"White पल्लव की डायरी कानूनों से हाथ बाँधकर अराजक व्यवस्था पनपी है मनमाना रवैया सरकारों का जनता के अरमानों की हदे तोड़ी है अपराध जगत सियासतों के हाथों में जब चाहे तब दंगो और बलबा करके रोटियाँ राजनीतिक सेकी है दूषित चरित्र राजनेताओं के हो तो कैसे सभ्य समाज बन सकता है अपराधबोध जिसे ना हो अपनी करनी का वो देश समाज का किया भला कर सकता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव""

 White पल्लव की डायरी
कानूनों से हाथ बाँधकर
अराजक व्यवस्था पनपी है
मनमाना रवैया सरकारों का
जनता के अरमानों की हदे तोड़ी है
अपराध जगत सियासतों के हाथों में
जब चाहे तब दंगो और बलबा करके
रोटियाँ राजनीतिक सेकी है
दूषित चरित्र राजनेताओं के हो
तो कैसे सभ्य समाज बन सकता है
अपराधबोध जिसे ना हो अपनी करनी का
वो देश समाज का किया भला कर सकता है
                                       प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

White पल्लव की डायरी कानूनों से हाथ बाँधकर अराजक व्यवस्था पनपी है मनमाना रवैया सरकारों का जनता के अरमानों की हदे तोड़ी है अपराध जगत सियासतों के हाथों में जब चाहे तब दंगो और बलबा करके रोटियाँ राजनीतिक सेकी है दूषित चरित्र राजनेताओं के हो तो कैसे सभ्य समाज बन सकता है अपराधबोध जिसे ना हो अपनी करनी का वो देश समाज का किया भला कर सकता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#love_shayari अपराध बोध ना हो जिसे अपनी करनी का

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