उलझने ऐसी है जैसे कि मेरे बाल उलझे हुए, टूटते ऐस | हिंदी Poetry

"उलझने ऐसी है जैसे कि मेरे बाल उलझे हुए, टूटते ऐसे है, जैसे कि कितने ख्वाब टूटे हुए। ©Kiran Gautam"

 उलझने ऐसी है जैसे  कि मेरे  बाल उलझे हुए,
टूटते ऐसे है, जैसे कि कितने ख्वाब टूटे हुए।

©Kiran Gautam

उलझने ऐसी है जैसे कि मेरे बाल उलझे हुए, टूटते ऐसे है, जैसे कि कितने ख्वाब टूटे हुए। ©Kiran Gautam

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