तूम जो ढोये जा रहे वो बोझ का वज़न दुनियां कभी जान | मराठी विचार

"तूम जो ढोये जा रहे वो बोझ का वज़न दुनियां कभी जान पायेगी, नहीं जान पायेगी वो कि तपती धूप में दो वक्त की रोजी- रोटी के लिए जिस्म को जलाना कैसा होता है? और कैसा महसूस तुम्हें होता है? हर खूबसूरत चीज़ को बनाकर उसका लाभ जीवन में कभी नहीं लेना.."

 तूम जो ढोये जा रहे वो बोझ
का वज़न दुनियां कभी जान पायेगी,
नहीं जान पायेगी वो कि तपती धूप में दो वक्त की रोजी- रोटी के लिए

जिस्म को जलाना कैसा होता है?

और कैसा महसूस तुम्हें होता है?
हर खूबसूरत चीज़ को

 बनाकर उसका लाभ जीवन में कभी नहीं लेना..

तूम जो ढोये जा रहे वो बोझ का वज़न दुनियां कभी जान पायेगी, नहीं जान पायेगी वो कि तपती धूप में दो वक्त की रोजी- रोटी के लिए जिस्म को जलाना कैसा होता है? और कैसा महसूस तुम्हें होता है? हर खूबसूरत चीज़ को बनाकर उसका लाभ जीवन में कभी नहीं लेना..

# मजदूर दिवस

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