White एक रिश्तें मॆं मोहब्बत है उसपर खून भी...
काटकर देखे उन उंगलियोंके नाखून भी...
कल मजबूरन घड़ी को कलाई काटनी पड़ी...
वक्त ने आज़माएँ है दिसंबर मॆं जून भी..।
ये आसमान उडते परिंदे की अमानत है...
मिलने आए हो, उसूल भी साथ मॆं कानून भी..।
किस्सा ख़त्म हुआ कहानी अधूरी छूट गयी...
यूँ समझो कोट कहीं पर दूर है पतलून भी..।
- ख़ब्तुल
संदीप बडवाईक
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खून