➡️➡️
नाम के किस्सों से बेनाम ही अच्छे थे,
.
बचपन में बचपना था बच्चे ही अच्छे थे,
.
क्या मुसीबत है बड़े होकर भी ना समझ पाना,
.
उससे बेहतर तो हम नासमझ ही अच्छे थे,
➡️➡️
चालाकी में फस जाते है और कितने चालाक बने,
.
उनसे ही हम हार गए जो एक समय हक़दार बने,
➡️➡️
बचपन में रोने से चीजें, मिल जाती थी एक दो चार,
.
अब रोने से जीवन में केवल मिलता है त्रिष्कार,
➡️➡️
दोनों की तुलना में मैंने इतना अंतर पाया है,
.
बचपन का पाया अनुराग, व्यर्थ ही गवाया है,
©himanshu
#Childhood #लव #Affection #Care
#blindtrust