जमीन को गंदा कर इंसान चांद पर जा रहे हैं !
कूड़े कचरे का ढेर ना जाने लोग क्यों फैला रहे हैं !!
क्या जमीन को गंदा कर सुकून ना मिला
शायद इसीलिए कहीं, चांद पर तो ना जा रहे हैं !
इंसान अब्भी समझ जा मत फैला कूड़े कचरे का ढेर
जमीन पर ठीक से चलना सीखे नहीं और चांद पर जा रहे हैं !!
आज जो हम चांद पर जा रहे हैं, कोई कहता मोदी ले जा रहे हैं
कोई कहता नेहरू के कारण जा रहे हैं !
समझ नहीं आता हम कहां थे, और कहां जा रहे हैं !!
क्या सच में हम चांद पर जा रहे हैं !
कूड़े कचरे का अम्बार देख लगता है, खुद के ही खुदे कब्र में दफन हुए जा रहे हैं !!
©Ravikesh Kumar Singh
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