जब आप कोई कार्य कर हो तब केवल कार्य करे,जब आप खेल रहे हो तो आपका ध्यान खेल मे ही लगा रहे,,,बस यही एक मात्र प्रसन्नचित रहने व सफलता का महा मंत्र है,,,,,,,,,यह हमारी तीसरी क्लास का प्रथम अध्याय था जो आज के बालको का प्रथम अध्याय है लेकिन इसको समझने मे उन्हे पुरी जिदंगी लग जाती है,,,,,,काश इसके महत्व को जीवन की अंग्रिम पंक्ति मे स्थान देने लग जाये तो सफलता आपके चरण चुम जाये,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,omj,,,,,