बो आजाद हुई मेरी बाहों की गिरफ्त से,
गलती से भूली उसका रुमाल सँभाल रक्खा है।
कुछ मुट्ठी गम ही तो दिया है उसने मुझे,
जिन्हें मैने अब तक सम्भाल रक्खा है।
:- राजीव कौरव
©Rajeev Kourav
#hangout @Himanshu Gupta @Ambika Jha Rohan davesar वैराग्य यज्ञेश्वर वत्स