White काश किसी दिन मैं भी सूरज के मानिंद, दुख दर | हिंदी कोट्स

"White काश किसी दिन मैं भी सूरज के मानिंद, दुख दर्दों की गहन अंधकारमय बदलियों से उग पाऊं/ऊपर उठ पाऊं ,, पीड़ाओं/ व्यथाओं/ क्रूरताओं/ के अत्यंत विशालकाय पहाड़ों के बोझ से दबा,, किसी दिन बाहर निकल पाऊं ,, दिल के उन्मादों मन के अवसादों चित के शैलाबों से कभी तर पाऊं , उबर पाऊं नहीं तो ,, ये गर्जनायें, ये शिलाएं , ये आक्रांताएं मुझे काल की गुमनामी में गुम कर डालेंगी ©Rakesh frnds4ever"

 White काश किसी दिन मैं भी सूरज के मानिंद,

 दुख दर्दों की गहन अंधकारमय बदलियों से उग पाऊं/ऊपर उठ पाऊं ,,

पीड़ाओं/ व्यथाओं/ क्रूरताओं/ के अत्यंत विशालकाय पहाड़ों के बोझ से दबा,,

किसी दिन बाहर निकल पाऊं ,,

दिल के उन्मादों मन के अवसादों चित के शैलाबों से कभी तर पाऊं , 

उबर पाऊं 

नहीं तो ,,

ये गर्जनायें, ये शिलाएं , ये आक्रांताएं मुझे काल की  गुमनामी में गुम कर डालेंगी

©Rakesh frnds4ever

White काश किसी दिन मैं भी सूरज के मानिंद, दुख दर्दों की गहन अंधकारमय बदलियों से उग पाऊं/ऊपर उठ पाऊं ,, पीड़ाओं/ व्यथाओं/ क्रूरताओं/ के अत्यंत विशालकाय पहाड़ों के बोझ से दबा,, किसी दिन बाहर निकल पाऊं ,, दिल के उन्मादों मन के अवसादों चित के शैलाबों से कभी तर पाऊं , उबर पाऊं नहीं तो ,, ये गर्जनायें, ये शिलाएं , ये आक्रांताएं मुझे काल की गुमनामी में गुम कर डालेंगी ©Rakesh frnds4ever

#काश_किसी_दिन मैं भी #सूरज के मानिंद, दुख दर्दों की गहन अंधकारमय #बदलियों से उग पाऊं/ऊपर उठ पाऊं ,,
पीड़ाओं/ व्यथाओं/ #क्रूरताओं/ के अत्यंत विशालकाय #पहाड़ों के बोझ से दबा,,किसी दिन बाहर निकल पाऊं ,,
दिल के #उन्मादों मन के #अवसादों चित के शैलाबों से कभी तर पाऊं , उबर पाऊं
नहीं तो ,,
ये गर्जनायें, ये #शिलाएं , ये #आक्रांताए मुझे काल की गुमनामी में गुम कर डालेंगी

#rakeshyadav @rkysky @rkyskyfrnds4ever @rkysky1625

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