तपती धूप मे जब उसने खुद को जलाया है तब जाके एक परि | हिंदी कविता

"तपती धूप मे जब उसने खुद को जलाया है तब जाके एक परिवार फल फूल पाया है, बारिश मे छत जैसी वो छाया है, कतरा कतरा घिस कर उसने हमको बनाया है, कोख मे नही दिमाग मे 9 महीने बसाया है, फिर चलना, गिर कर संभलना भी तो उन्होने ने ही सिखाया है, Aese hi nahi kehte dhoop me thadi chao sa pita ka saya hai. ©Shikhar Bajpai"

 तपती धूप मे जब उसने खुद को जलाया है तब जाके एक परिवार फल फूल पाया है, 
बारिश मे छत जैसी वो छाया है,
कतरा कतरा घिस कर उसने हमको बनाया है, 
कोख मे नही दिमाग मे 9 महीने बसाया है,
फिर चलना, गिर कर संभलना भी तो उन्होने ने ही सिखाया है,

Aese hi nahi kehte dhoop me thadi chao sa pita ka saya hai.

©Shikhar Bajpai

तपती धूप मे जब उसने खुद को जलाया है तब जाके एक परिवार फल फूल पाया है, बारिश मे छत जैसी वो छाया है, कतरा कतरा घिस कर उसने हमको बनाया है, कोख मे नही दिमाग मे 9 महीने बसाया है, फिर चलना, गिर कर संभलना भी तो उन्होने ने ही सिखाया है, Aese hi nahi kehte dhoop me thadi chao sa pita ka saya hai. ©Shikhar Bajpai

Happy fathers day

#FathersDay

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