शीर्षक:- किताब का नशा नशा, तुम किताब का कर लो । क | हिंदी कविता

"शीर्षक:- किताब का नशा नशा, तुम किताब का कर लो । कुछ पढ़ लो या कुछ लिख लो। साहित्य पढ़ो, इतिहास पढ़ो, थोड़ा तुम गणित पढ़ लो। भूगोल पढ़ो, अर्थशास्त्र पढ़ो, थोड़ा तुम विज्ञान पढ़ लो। जो पढ़ने में मन ना लगे, लिखना तुम प्रारंभ कर लो। साहित्य लिखो, नया इतिहास लिखो, कभी अपने दिल की बात लिखो। समाज की बढ़ती कुरितिया लिखो, सफलता पाने का तुम मार्ग लिखो। ©Aakansha shukla"

 शीर्षक:- किताब का नशा

नशा, तुम किताब का कर लो ।
कुछ पढ़ लो या कुछ लिख लो।

साहित्य पढ़ो, इतिहास पढ़ो,
थोड़ा तुम गणित पढ़ लो।

भूगोल पढ़ो, अर्थशास्त्र पढ़ो,
थोड़ा तुम विज्ञान पढ़ लो।

जो पढ़ने में मन ना लगे,
लिखना तुम प्रारंभ कर लो।

साहित्य लिखो, नया इतिहास लिखो,
कभी अपने दिल की बात लिखो।

समाज की बढ़ती कुरितिया लिखो,
सफलता पाने का तुम मार्ग लिखो।

©Aakansha shukla

शीर्षक:- किताब का नशा नशा, तुम किताब का कर लो । कुछ पढ़ लो या कुछ लिख लो। साहित्य पढ़ो, इतिहास पढ़ो, थोड़ा तुम गणित पढ़ लो। भूगोल पढ़ो, अर्थशास्त्र पढ़ो, थोड़ा तुम विज्ञान पढ़ लो। जो पढ़ने में मन ना लगे, लिखना तुम प्रारंभ कर लो। साहित्य लिखो, नया इतिहास लिखो, कभी अपने दिल की बात लिखो। समाज की बढ़ती कुरितिया लिखो, सफलता पाने का तुम मार्ग लिखो। ©Aakansha shukla

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