* अभी बाकी है! * सपनों में ही मुलाकात कर लेते हैं | हिंदी कविता

"* अभी बाकी है! * सपनों में ही मुलाकात कर लेते हैं उनसे, मय्यसर में अभी रूबरू होना बाकी है।। बारिश की बूंदों में तो, ना जाने कितनी दफा भीगे हैं, उनके प्यार कि बारिश में अभी भीगना बाकी है।। दोस्ती का पौधा एक हमने लगाया है, मोहब्बत की कलियों का अभी खिलना बाकी है।। तारों जैसी अहमियत है उनकी जिंदगी में हमारी, उनकी जिंदगी में हमारा चांद बनना बाकी है।। मेरी हर कविता में होता है ज़िक्र उनका, अभी उन्हें अपना हमसफ़र लिखना बाकी है।। लहरों की तरह रहता है उनका आना-जाना, किनारे पर मेरे संग बैठकर, रेत पर नाम इतना बाकी है।। हवा की तरह वो मुझे छू कर गुजर जाता है, इत्र की तरह उनका मुझ में समाना बाकी है।। ख़्यालों में उनके वक्त बहुत ज़ाया किया है, उनसे बातें करते-करते, रातों को बेकार करना बाकी है।। रूठ कर के मैं, खुद ही मान जाती हूँ, अभी उनका मुझे मनाना बाकी है।। एक झलक उनकी मेरी धड़कनों को बेकरार कर देती है, अभी उनका भी मेरे लिए मेरा उतना ही बेकरार होना बाकी है।। ©red_rose431"

 * अभी बाकी है! *

सपनों में ही मुलाकात कर लेते हैं उनसे, 
मय्यसर में अभी रूबरू होना बाकी है।। 

बारिश की बूंदों में तो, ना जाने कितनी दफा भीगे हैं, 
उनके प्यार कि बारिश में अभी भीगना बाकी है।। 

दोस्ती का पौधा एक हमने लगाया है, 
मोहब्बत की कलियों का अभी खिलना बाकी है।।

तारों जैसी अहमियत है उनकी जिंदगी में हमारी, 
उनकी जिंदगी में हमारा चांद बनना बाकी है।।

मेरी हर कविता में होता है ज़िक्र उनका, 
अभी उन्हें अपना हमसफ़र लिखना बाकी है।।

लहरों की तरह रहता है उनका आना-जाना, 
किनारे पर मेरे संग बैठकर, रेत पर नाम इतना बाकी है।।

हवा की तरह वो मुझे छू कर गुजर जाता है, 
इत्र की तरह उनका मुझ में समाना बाकी है।।

ख़्यालों में उनके वक्त बहुत ज़ाया किया है, 
उनसे बातें करते-करते, रातों को बेकार करना बाकी है।।

रूठ कर के मैं, खुद ही मान जाती हूँ, 
अभी उनका मुझे मनाना बाकी है।।

एक झलक उनकी मेरी धड़कनों को बेकरार कर देती है, 
अभी उनका भी मेरे लिए मेरा उतना ही बेकरार होना बाकी है।।
©red_rose431

* अभी बाकी है! * सपनों में ही मुलाकात कर लेते हैं उनसे, मय्यसर में अभी रूबरू होना बाकी है।। बारिश की बूंदों में तो, ना जाने कितनी दफा भीगे हैं, उनके प्यार कि बारिश में अभी भीगना बाकी है।। दोस्ती का पौधा एक हमने लगाया है, मोहब्बत की कलियों का अभी खिलना बाकी है।। तारों जैसी अहमियत है उनकी जिंदगी में हमारी, उनकी जिंदगी में हमारा चांद बनना बाकी है।। मेरी हर कविता में होता है ज़िक्र उनका, अभी उन्हें अपना हमसफ़र लिखना बाकी है।। लहरों की तरह रहता है उनका आना-जाना, किनारे पर मेरे संग बैठकर, रेत पर नाम इतना बाकी है।। हवा की तरह वो मुझे छू कर गुजर जाता है, इत्र की तरह उनका मुझ में समाना बाकी है।। ख़्यालों में उनके वक्त बहुत ज़ाया किया है, उनसे बातें करते-करते, रातों को बेकार करना बाकी है।। रूठ कर के मैं, खुद ही मान जाती हूँ, अभी उनका मुझे मनाना बाकी है।। एक झलक उनकी मेरी धड़कनों को बेकरार कर देती है, अभी उनका भी मेरे लिए मेरा उतना ही बेकरार होना बाकी है।। ©red_rose431

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