White उस मंदिर के पुजारी से मेरी दोस्ती अब काफ़ी ग | हिंदी कविता

"White उस मंदिर के पुजारी से मेरी दोस्ती अब काफ़ी गहरी हो गई है तभी तो वो रोज़ सुबह मुझे मंदिर लें जाके आरती करवाता है और मैं बदले मे उसे मयखाने. लें जाकर उसका गला तर करवाता हू ©Parasram Arora"

 White उस मंदिर के पुजारी से मेरी दोस्ती  अब काफ़ी गहरी हो गई  है 

तभी तो वो रोज़ सुबह मुझे मंदिर लें जाके आरती करवाता है 
और मैं बदले मे  उसे मयखाने. लें जाकर 

उसका गला तर करवाता हू

©Parasram Arora

White उस मंदिर के पुजारी से मेरी दोस्ती अब काफ़ी गहरी हो गई है तभी तो वो रोज़ सुबह मुझे मंदिर लें जाके आरती करवाता है और मैं बदले मे उसे मयखाने. लें जाकर उसका गला तर करवाता हू ©Parasram Arora

दोस्ती

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