"हटाओ हाँथ इन आँखों से
ये तुम हो
मैं जानता हुँ
तुम्हे खुशबु से नही
आहत से भी पहचानता हुँ
भटकता फिर रहा हुँ
कहाँ जाऊँ शहर भर मे
मैं सिर्फ तुझे ही तो जानता हुँ"
हटाओ हाँथ इन आँखों से
ये तुम हो
मैं जानता हुँ
तुम्हे खुशबु से नही
आहत से भी पहचानता हुँ
भटकता फिर रहा हुँ
कहाँ जाऊँ शहर भर मे
मैं सिर्फ तुझे ही तो जानता हुँ