हम लापरवाह भी हैं और गलतियां भी तमाम करते हैं,
किसी का गलत नहीं करते, बस खुद को ही बदनाम करते हैं,
यह जो लगाए फिरते हैं अपनी शक्ल पे मुखोटे हरदफा,
हम आज भी उस अतीत-ऐ-मदह(Lady) से बेइंतहा प्यार करते हैं...
लिख देते हैं जुगनू के साथ मिलकर पाक सी नज़्म,
अब बोल नहीं पाते, बस यूंही हर बात को बयान करते हैं....
बाजारों में बिकती किताबों की पहचान से रूबरू हैं,
भी अपनी हर कुतुब-खाने की(Library) किताब हम नीलाम करते हैं....
©Kaushal Tewari
#Hindidiwas