में देख नही सकता
कटे फटे अंगों को
में देख नही सकता मरते
अपने सगी संबंधी को
में देख नहीं सकता
बहु बेटियो की लूटी अस्मत को
में देख नही सकता बैकसूर लचारो को
में देख नही सकता भूखे की लाचारी को
अब हमको कदम कुछ तो उठाना होगा
बंद हो ये अत्याचार बेकसूरों पर
नही तो दोस्तो हमको फिर से
हथियार उठाना होगा!
©Poet Kuldeep Singh Ruhela
#sad_shayari में देख नही सकता
कटे फटे अंगों को
में देख नही सकता मरते
अपने सगी संबंधी को
में देख नहीं सकता
बहु बेटियो की लूटी अस्मत को
में देख नही सकता बैकसूर लचारो को
में देख नही सकता भूखे की लाचारी को