जिसे तुम हादसों का शहर कहते हो
वो हमारे लिए सपनों का शहर है,
यहॉं आकर गरीब अमीर बन जाता है
जिसे नाचना नहीं आता
वो भी नाचने लगता है
गाने लगता है... अभिनय करता है...
सबका मनोरंजन करता है...
ऐसे शहर को मैंने बाम्बे से बम्बई
और बम्बई से मुम्बई में बदलते देखा है...
इस शहर में मेरा भी सिक्का उछलेगा...
अपने दम पर... अपनी प्रतिभा के दम पर...!
©मनीष कुमार पाटीदार
#City