कभी खुद को , कभी तुझ को,
अक्सर ढूंढ़ता हूं,. ...
कभी खुदा को, कभी कायनात को ढूंढता हूं
जब होता हूं अकेले ना जाने मैं क्या ढूंढ़ता हूं
बहुत बेचैनी रहती है अक्सर मेरे दिल में
आब यहां सिर्फ तेरी चाहत ही रहती है
कभी खुद को , कभी तुझ को,
अक्सर ढूंढ़ता हूं,. ...
मिलो, ना मिली ये तुझ पर छोड़ा है
ये दिल का रिश्ता ,दिल पर छोड़ा है
अब तेरी यादों को हर वक़्त संजोता हूं
कभी डायरी में , कभी कविता में
अपने कलाम से उकेरता हूं
अक्सर तन्हाई में ....
#allalone