क्यों तुम अपनी पहचान मिटा दी, अपने हाथो अपनी बुनिय | हिंदी शायरी

"क्यों तुम अपनी पहचान मिटा दी, अपने हाथो अपनी बुनियाद हिला दी, कुछ अधूरे रिश्तों के लिए, अपनी पूरी ज़िन्दगी गवा दी । -Sanchi"

 क्यों तुम अपनी पहचान मिटा दी,
अपने हाथो अपनी बुनियाद हिला दी,
कुछ अधूरे  रिश्तों के लिए,
अपनी पूरी ज़िन्दगी गवा दी ।

-Sanchi

क्यों तुम अपनी पहचान मिटा दी, अपने हाथो अपनी बुनियाद हिला दी, कुछ अधूरे रिश्तों के लिए, अपनी पूरी ज़िन्दगी गवा दी । -Sanchi

#opensky

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