गमों को कुछ यूं भी हराया करो, तुम बेवजह मुस्कुराया | हिंदी कविता

"गमों को कुछ यूं भी हराया करो, तुम बेवजह मुस्कुराया भी करो! ©Prithvi Raj Singh "Pathik""

 गमों को कुछ यूं भी हराया करो,
तुम बेवजह मुस्कुराया भी करो!

©Prithvi Raj Singh "Pathik"

गमों को कुछ यूं भी हराया करो, तुम बेवजह मुस्कुराया भी करो! ©Prithvi Raj Singh "Pathik"

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