समझो ना बातों की हकीक़त सारी
जिसकी गवाही देती हैं आँखें हमारी
ख़ुद को दिखाते हो बेअसर मेरी तकलीफों से
और कहते हो कि है ये गलतफ़हमी हमारी
पर हम भी इसी इंतजार में हैं साहिब
कि कभी तो होगा इकरार तुम्हारी बातों में
कभी तो जागेगी सोयी मोहब्बत तुम्हारी
©K.Shikha
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