टूटकर चाहना किसीको गले से लगाना,
अपना दिल उस अजनबी को सौंपकर,
उसे अपना बनाना आसान तो नहीं।
करके वादे वफा के खाकर कसमें खुदा की,
कुछ लम्हें खुशी के गुजारकर,
दूर हो जाना आसान तो नहीं।
यादों की पोटलीयों का बोझ टूटे वादों की कसक,
और तन्हाइयों के सहारे,
ज़िंदगी को हँसकर बिताना आसान तो नहीं।
क्यों किया था वादा और मंजूर मेरा इश्क,
क्यों नहीं इनकार-ए-सौगात सुनाया था,
इश्क के बदले किसीका इश्क मांगना गलत तो नहीं।
किसी से वफा की उम्मीद रखना गलत तो नहीं।।
©Shivam Mallick
#LastDay Mohbbat