ये क्या ग़ुबार है शहर पे तेरे,
बरखा बिन बादल घनेरे।
दिल ख़ुश्क हैं ज़ुबाँ शोर करती है,
दोस्त कम, बहरूपिये बहुतेरे हैं।
वक़्त बदला है, ज़िन्दगी ने करवट ली है (2),
नए एक दौर का ये आग़ाज़ है।
शुक्र कर जीवन्त, कि वक़्त अब भी तेरे साथ है,
ख़ाली हो झोली, तेरे मुनसिब का तुझपे हाथ है।
रख क़दम ज़मीं पे हक़ से, कि तू ख़ुशनसीब है
तेरा रक़ीब तेरा हमनवां अब भी तेरे साथ है।
ये क्या ग़ुबार है..
एक हसरत, एक कोशिश
#Stars&Me