जिंदगी की भागदौड़ से परे होकर खुद को प्रकृति, ईश्व | हिंदी Life

"जिंदगी की भागदौड़ से परे होकर खुद को प्रकृति, ईश्वर और अध्यात्म में सौंप कर किताबों से थोड़ी नजदीकियां बढ़ाकर ज़रा सुकून से दो पल तू खुद से बात कर मंदिर की सीढियों पर बैठा भिखारी में खेतों की झूमती लहराती क्यारी में डालों पर चूमते कबूतरों की यारी में खुशी से फुदकती उस गिलहरी प्यारी में हवाओं संग झूमती पेड़ों की डाली में आँखों को सुकून देती वृक्षों की हरियाली में तू उस ईश्वर को ढूंढकर उसे खुद में महसूस कर उसे खुद में महसूस कर... ©The Sarvajeet Krishna"

 जिंदगी की भागदौड़ से परे होकर
खुद को प्रकृति, ईश्वर और अध्यात्म में सौंप कर
किताबों से थोड़ी नजदीकियां बढ़ाकर
ज़रा सुकून से दो पल तू खुद से बात कर

मंदिर की सीढियों पर बैठा भिखारी में
खेतों की झूमती लहराती क्यारी में
डालों पर चूमते कबूतरों की यारी में
खुशी से फुदकती उस गिलहरी प्यारी में
हवाओं संग झूमती पेड़ों की डाली में
आँखों को सुकून देती वृक्षों की हरियाली में

तू उस ईश्वर को ढूंढकर 
उसे खुद में महसूस कर
उसे खुद में महसूस कर...

©The Sarvajeet Krishna

जिंदगी की भागदौड़ से परे होकर खुद को प्रकृति, ईश्वर और अध्यात्म में सौंप कर किताबों से थोड़ी नजदीकियां बढ़ाकर ज़रा सुकून से दो पल तू खुद से बात कर मंदिर की सीढियों पर बैठा भिखारी में खेतों की झूमती लहराती क्यारी में डालों पर चूमते कबूतरों की यारी में खुशी से फुदकती उस गिलहरी प्यारी में हवाओं संग झूमती पेड़ों की डाली में आँखों को सुकून देती वृक्षों की हरियाली में तू उस ईश्वर को ढूंढकर उसे खुद में महसूस कर उसे खुद में महसूस कर... ©The Sarvajeet Krishna

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