"मंदिरों को बे मूरत,
मस्जिदों को बिना चादर के देखा है,
खुदा से मुलाकात हो जाती है,
इंसान को एक अरसे से नहीं देखा है ।
तुम लाख बातें बना लो अपनी बेगुनाही की,
मेरी आंखो ने जितना देखा है सही देखा है।
#baghi"
मंदिरों को बे मूरत,
मस्जिदों को बिना चादर के देखा है,
खुदा से मुलाकात हो जाती है,
इंसान को एक अरसे से नहीं देखा है ।
तुम लाख बातें बना लो अपनी बेगुनाही की,
मेरी आंखो ने जितना देखा है सही देखा है।
#baghi