ek hi aabroo hai meri...
must listen...
एक ही आबरू है मेरी किस किस से बचाऊं
सड़को में, गली, गुफाओं में अक्सर लूटी जाऊं ।।
आश्रमों में भी देखो महफूज नहीं हूं मैं
जान है मुझमें भी कोई पत्थर नहीं हूं मैं ।।
वो जो यहां धर्म के ठेकेदार बनते हैं
हमे ही लूटते हैं हमें ही कत्ल करते हैं ।।