White प्रचार के आदी धर्माचार्य धार्मिक विचार से शून्य हो चुके है धर्म की हानि धर्म के नाम पर बनी संस्थाओ ने जितना किया है और कर रही है उतना तो मुगल भी नही कर सके , बड़े बड़े मठ मंदिर बनाकर उसमे बैठे मठाधीश केवल खुद का प्रचार करते है, भगवान और भगवा के नाम का आवरण ओढ़कर ,जबकि आचरण से म्लेच्छ बन गये है
समीर तिवारी
©समीर तिवारी
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