White मैं तो बेज़ार हूं मिस्मार बना फिरता हूं
दश्त ए इश्क़ में बीमार बना फिरता हूं
अब्र ने आब से संधि कर ली
फ़सील ए दिल में हूं कुम्हार बना फिरता हूं
शिकस्ता हूं मैं अजी शाद का चेहरा बनकर
दिल में अहवाल का बाज़ार बना फिरता हूं
मुहब्बत थी उससे उसने ही मारा मुझको
सहरा ए इश्क़ कलमकार बना फिरता हूं
मस्कन ए दिल को हर बार उसने तोड़ा है
बाब ए इश्क़ हूं ग़म-ख़्वार बना फिरता हूं
©Irfan Saeed
बेज़ार- नाराज़, नाखुश, खफा
मिस्मार - बर्बाद, तबाह
दश्त ए इश्क़ - इश्क़ का रेगिस्तान
अब्र - बादल, घटा
आब - पानी
फ़सील ए दिल- दिल की मुंडेर,दिल की दीवार
शिकस्ता - टूटा हुआ
शाद - खुश