गुनाह करके भी हम जीए जा रहे हैं कयामत के ही ना वो | हिंदी Shayari

"गुनाह करके भी हम जीए जा रहे हैं कयामत के ही ना वो दिन आ रहे हैं। समझते थे जिसको मोहब्बत यारों वही चीर के दिल चले जा रहे हैं। बेज़ार रूह मेहताब को तरसे लिए आइना हम जीये जा रहे हैं। खुदा की बनाई तस्वीर तोड़ी वो टुकड़े सज़ा कर लिए जा रहे हैं। ©शून्य"

 गुनाह करके भी हम जीए जा रहे हैं
कयामत के ही ना वो दिन आ रहे हैं।

समझते थे जिसको मोहब्बत यारों
वही चीर के दिल चले जा रहे हैं।

बेज़ार रूह मेहताब को तरसे
लिए आइना हम जीये जा रहे हैं।

खुदा की बनाई तस्वीर तोड़ी
वो टुकड़े सज़ा कर लिए जा रहे हैं।

©शून्य

गुनाह करके भी हम जीए जा रहे हैं कयामत के ही ना वो दिन आ रहे हैं। समझते थे जिसको मोहब्बत यारों वही चीर के दिल चले जा रहे हैं। बेज़ार रूह मेहताब को तरसे लिए आइना हम जीये जा रहे हैं। खुदा की बनाई तस्वीर तोड़ी वो टुकड़े सज़ा कर लिए जा रहे हैं। ©शून्य

ग़ज़ल

#Life #Feeling #Emotional #words #Nojoto

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