विधा      गीत  :- हंसगति छन्द  इनकी उनकी बात

"विधा      गीत  :- हंसगति छन्द  इनकी उनकी बात , आज क्यों करना । अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।। इनकी उनकी बात ... हम सब में है प्यार , और क्या लेना । इन्हें बताओ आप , आज सच है ना ।। जीवन है अनमोल , मानता गहना । खुशी मिलेगी आप , खोजते रहना ।। इनकी उनकी बात .... कैसे करूँ विचार , बात पे उनकी । छुपा हुआ है स्वार्थ , बात में जिनकी ।। रहकर इनके साथ , नहीं है डरना । इन्हें डूबकर स्वयं , एक दिन मरना ।। इनकी उनकी बात... डाल हमीं में फूट , मजे ये लेते । देकर आने चार , आठ ले लेते ।। धन की इन्हें बखार , नित्य है भरना । सुनकर दिलकी बात , साथ तब चलना ।।।। इनकी उनकी बात ... इनकी उनकी बात , आज क्यों करना । अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR"

 विधा      गीत  :- हंसगति छन्द 

इनकी उनकी बात , आज क्यों करना ।
अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।।
इनकी उनकी बात ...

हम सब में है प्यार , और क्या लेना ।
इन्हें बताओ आप , आज सच है ना ।।
जीवन है अनमोल , मानता गहना ।
खुशी मिलेगी आप , खोजते रहना ।।
इनकी उनकी बात ....

कैसे करूँ विचार , बात पे उनकी ।
छुपा हुआ है स्वार्थ , बात में जिनकी ।।
रहकर इनके साथ , नहीं है डरना ।
इन्हें डूबकर स्वयं , एक दिन मरना ।।
इनकी उनकी बात...

डाल हमीं में फूट , मजे ये लेते ।
देकर आने चार , आठ ले लेते ।।
धन की इन्हें बखार , नित्य है भरना ।
सुनकर दिलकी बात , साथ तब चलना ।।।।
इनकी उनकी बात ...

इनकी उनकी बात , आज क्यों करना ।
अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विधा      गीत  :- हंसगति छन्द  इनकी उनकी बात , आज क्यों करना । अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।। इनकी उनकी बात ... हम सब में है प्यार , और क्या लेना । इन्हें बताओ आप , आज सच है ना ।। जीवन है अनमोल , मानता गहना । खुशी मिलेगी आप , खोजते रहना ।। इनकी उनकी बात .... कैसे करूँ विचार , बात पे उनकी । छुपा हुआ है स्वार्थ , बात में जिनकी ।। रहकर इनके साथ , नहीं है डरना । इन्हें डूबकर स्वयं , एक दिन मरना ।। इनकी उनकी बात... डाल हमीं में फूट , मजे ये लेते । देकर आने चार , आठ ले लेते ।। धन की इन्हें बखार , नित्य है भरना । सुनकर दिलकी बात , साथ तब चलना ।।।। इनकी उनकी बात ... इनकी उनकी बात , आज क्यों करना । अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विधा      गीत  :- हंसगति छन्द 

इनकी उनकी बात , आज क्यों करना ।
अपने मन के घाव , स्वयं है भरना ।।
इनकी उनकी बात ...

हम सब में है प्यार , और क्या लेना ।
इन्हें बताओ आप , आज सच है ना ।।

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