निराशा के तम में जो डूबे हुए है, उन्हें फिर कैसे उ

"निराशा के तम में जो डूबे हुए है, उन्हें फिर कैसे उजाला मिलेगा? जिसे नोचा हैं दुनिया ने मिलकर, वो भी किसी को नोचता मिलेगा। खुशियों में सबको बुलाते सभी हैं, पेड़े-रसगुल्ले खिलाते सभी हैं। मगर जो गम का साया पड़ा तो, हर शख्स उसको छुपाता मिलेगा। सामने तो सबको अपना बनाकर, बिल्कुल उनको फरिश्ता ही कहते। मगर जो हल्की निगाह फिरी तो, वही बर्बादी की दुआ करता मिलेगा। मोहब्बत करते हैं तिजारत के जैसे, नफे-नुकसान सब लाजिम है इसमें। अब तो कि दिल जरूरी नहीं है, दौलत पे हर मजनू मरता मिलेगा। चलते हैं नजरें सदा फेर करके, जैसे कि हमसे रिश्ता ही नहीं है, जरा सी बुलंदी मिलेगी मुझे जो, ये मगरूर राम-राम करता मिलेगा। तुम्हें जो करना है कर के ही बैठो, हमें उससे कोई मतलब नहीं है। हमको तो कुछ और आता नहीं है, ये जाहिल गजलें सुनाता मिलेगा। पिछली तुमने जो साजिश करी थी, जरा अच्छी तैयारी करके तो आते। मां की दुआओं की नेमत यही है, गम में भी राणा मुस्कुराता मिलेगा।"

 निराशा के तम में जो डूबे हुए है,
उन्हें फिर कैसे उजाला मिलेगा?
जिसे नोचा हैं दुनिया ने मिलकर,
वो भी किसी को नोचता मिलेगा।
खुशियों में सबको बुलाते सभी हैं,
पेड़े-रसगुल्ले खिलाते सभी हैं।
मगर जो गम का साया पड़ा तो, 
हर शख्स उसको छुपाता मिलेगा।
सामने तो सबको अपना बनाकर,
बिल्कुल उनको फरिश्ता ही कहते।
मगर जो हल्की निगाह फिरी तो,
वही बर्बादी की दुआ करता मिलेगा।
मोहब्बत करते हैं तिजारत के जैसे, 
नफे-नुकसान सब लाजिम है इसमें।
अब तो कि दिल जरूरी नहीं है, 
दौलत पे हर मजनू मरता मिलेगा।
चलते हैं नजरें सदा फेर करके, 
जैसे कि हमसे रिश्ता ही नहीं है,
जरा सी बुलंदी मिलेगी मुझे जो, 
ये मगरूर राम-राम करता मिलेगा।
तुम्हें जो करना है कर के ही बैठो, 
हमें उससे कोई मतलब नहीं है।
हमको तो कुछ और आता नहीं है, 
ये जाहिल गजलें सुनाता मिलेगा।
पिछली तुमने जो साजिश करी थी, 
जरा अच्छी तैयारी करके तो आते।
मां की दुआओं की नेमत यही है, 
गम में भी राणा मुस्कुराता मिलेगा।

निराशा के तम में जो डूबे हुए है, उन्हें फिर कैसे उजाला मिलेगा? जिसे नोचा हैं दुनिया ने मिलकर, वो भी किसी को नोचता मिलेगा। खुशियों में सबको बुलाते सभी हैं, पेड़े-रसगुल्ले खिलाते सभी हैं। मगर जो गम का साया पड़ा तो, हर शख्स उसको छुपाता मिलेगा। सामने तो सबको अपना बनाकर, बिल्कुल उनको फरिश्ता ही कहते। मगर जो हल्की निगाह फिरी तो, वही बर्बादी की दुआ करता मिलेगा। मोहब्बत करते हैं तिजारत के जैसे, नफे-नुकसान सब लाजिम है इसमें। अब तो कि दिल जरूरी नहीं है, दौलत पे हर मजनू मरता मिलेगा। चलते हैं नजरें सदा फेर करके, जैसे कि हमसे रिश्ता ही नहीं है, जरा सी बुलंदी मिलेगी मुझे जो, ये मगरूर राम-राम करता मिलेगा। तुम्हें जो करना है कर के ही बैठो, हमें उससे कोई मतलब नहीं है। हमको तो कुछ और आता नहीं है, ये जाहिल गजलें सुनाता मिलेगा। पिछली तुमने जो साजिश करी थी, जरा अच्छी तैयारी करके तो आते। मां की दुआओं की नेमत यही है, गम में भी राणा मुस्कुराता मिलेगा।

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