अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिले, जिस | हिंदी Poetry

"अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिले, जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें! अहमद फ़राज़ साहब!"

 अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिले,
जिस तरह  सूखे हुए फूल किताबों में मिलें!
अहमद फ़राज़ साहब!

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिले, जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें! अहमद फ़राज़ साहब!

#Poet #actor #

People who shared love close

More like this

Trending Topic