दरक पे रखी है वो हसरत हमारी, के अब हार जाना है ज़िल्लत हमारी, कुछ पल का होता तो काफी न होता जो अब उम्र भर साथ है सादगी हमारी, लुटे जो दिल से तो गम न हो अदाओ पे लुटने में क्या ज़र्फ हमारी, वो बदल कर बातें भी बात पर जो टिके है फिर पूछें के किस बात पर अटकी है सुई हमारी, गलत है जल्दी किसीको समझना भी युन्हि रात से अटकी है अब नयी शराब हमारी।
©Ajay Kashyap