पूरी बात का तो पता नहीं था,
पर ऐसी तो कोई बात नहीं थी !
सरेआम चाकू पर चाकू मारे जा रहे थे,
दिल्ली वालों रोकने की क्या तुम्हारी औकात नहीं थी!!
सब आते जाते देख रहे थे तमाशा,
वहां पर बहन बेटी तुम्हारी जो नहीं थी!
मर गई दया भावना,
बचीं अब इंसानियत नहीं थी!!
मैं पूछती हूं उन तमाशबीन से,
क्या हो गया था तुम्हारा खून पानी जो उठी नहीं हृदय में ज्वाला थी!
क्यों दे रहे थे परिमाण अपनी नपुसंकता का,
क्या बचीं नहीं अब मानवता थी!!
उस हैवान ने तो कर दी सारी हदें पार,
ना बची उसमें कोई दया थी!!
तुमने क्यों बांधा आंखों पर पट्टी,
क्या तुम्हारी लाज शर्म घुटनों में थी!!
गुनहगार तो है वो हैवान,
पर गुनहगारी तुम्हारी भी कम न थी!
न्याय तब मिलेगा उस साक्षी को ,
जब सज़ा-ए-मोत उस हैवान के साथ तमाशबीन को भी होती!!
©un khii sii daastaan
#Silence #heartbroken
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#un_khii_sii_baate
#ruh🥀
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