पत्थरों को मनाने के लिए फूलों को कुचल आया मैं। जिं | हिंदी शायरी

"पत्थरों को मनाने के लिए फूलों को कुचल आया मैं। जिंदगी जीने की कलाओं को भूल आया मैं।। ©Vikash Patel"

 पत्थरों को मनाने के लिए फूलों को कुचल आया मैं।
जिंदगी जीने की कलाओं को भूल आया मैं।।

©Vikash Patel

पत्थरों को मनाने के लिए फूलों को कुचल आया मैं। जिंदगी जीने की कलाओं को भूल आया मैं।। ©Vikash Patel

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