तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है.. कहीं अपनापन | हिंदी Motivation

"तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है.. कहीं अपनापन तो कहीं पीठ पीछे खंजर क्यों है.. सुना है तू इस संसार के हर जरें में रहता है, फिर ज़मीन पर कहीं मस्जिद कहीं मंदिर क्यों है.. जब रहने वाले दुनिया के हर बन्दे तेरे हैं, फिर कोई दोस्त तो कोई दुश्मन क्यों है तू ही लिखता है हर किसी का मुकद्दर, फिर कोई बदनसीब, और कोई मुकद्दर का सिकंदर क्यों है ....! @motivate_line ©Ravinder Kumar"

 तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है.. कहीं अपनापन तो कहीं पीठ पीछे खंजर क्यों है.. सुना है तू इस संसार के हर जरें में रहता है, फिर ज़मीन पर कहीं मस्जिद कहीं मंदिर क्यों है.. जब रहने वाले दुनिया के हर बन्दे तेरे हैं, फिर कोई दोस्त तो कोई दुश्मन क्यों है तू ही लिखता है हर किसी का मुकद्दर, फिर कोई बदनसीब, और कोई मुकद्दर का सिकंदर क्यों है ....!

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©Ravinder Kumar

तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है.. कहीं अपनापन तो कहीं पीठ पीछे खंजर क्यों है.. सुना है तू इस संसार के हर जरें में रहता है, फिर ज़मीन पर कहीं मस्जिद कहीं मंदिर क्यों है.. जब रहने वाले दुनिया के हर बन्दे तेरे हैं, फिर कोई दोस्त तो कोई दुश्मन क्यों है तू ही लिखता है हर किसी का मुकद्दर, फिर कोई बदनसीब, और कोई मुकद्दर का सिकंदर क्यों है ....! @motivate_line ©Ravinder Kumar

#Exploration बहुत शानदार लाइन

तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है.. कहीं अपनापन तो कहीं पीठ पीछे खंजर क्यों है.. सुना है तू इस संसार के हर जरें में रहता है, फिर ज़मीन पर कहीं मस्जिद कहीं मंदिर क्यों है.. जब रहने वाले दुनिया के हर बन्दे तेरे हैं, फिर कोई दोस्त तो कोई दुश्मन क्यों है तू ही लिखता है हर किसी का मुकद्दर, फिर कोई बदनसीब, और कोई मुकद्दर का सिकंदर क्यों है ....!

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