अकेले हर अधिकार रखना, खुद को महान औरों को कुछ नही समझना, बुध्दि सबसे ज्यादा है तो औरत को दबाना, मुसीबत आने पर बुद्धि शांति धैर्य को तिलांजलि देना, तारीफें खुद के लिए और दोष औरत के सिर मढ़ना, औरत की स्वतन्त्र जीने का हक छीन कर उन पर मर्जी हो तब हुक्म चलाना, और भी कई अवगुण है जो आदमी ने अपने अधिकार में किए है,
तभी आज औरते "आदमी नहीं " इंसान बनना चाहती है,
फेमिनिज्म वहीं इंसान होने की अवधारणा है।
युवा अपनी बुद्धि लगाकर बताएं क्या आदमी को सम्मान समानता स्वतंत्रता नहीं चाहिए? यहीं बात नारी कहती है तो तुम्हारी समझ में क्यों नहीं आता?
औरत को आपकी बेटियों को "आदमी नही" बनना है केवल "इंसान बनना है" ये इतनी सी बात आज के मॉडर्न युवा को भी समझ नही आती तो लानत हैं तुम्हारी अक्ल पर।
आज के समय में बेटी आपके घर की नारी अगर किसी भी तरह से आप से कमजोर है तो वो कमजोरी है आपकी, मर्द जात की।