अब ये सोच कर शिकवा-गिला नहीं करता कि हर शख्स अपनी | हिंदी शायरी

"अब ये सोच कर शिकवा-गिला नहीं करता कि हर शख्स अपनी जगह सही होता है!! ©अंशुल(लफ्ज़)"

 अब ये सोच कर शिकवा-गिला नहीं करता
कि हर शख्स अपनी जगह सही होता है!!

©अंशुल(लफ्ज़)

अब ये सोच कर शिकवा-गिला नहीं करता कि हर शख्स अपनी जगह सही होता है!! ©अंशुल(लफ्ज़)

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