जिंदगी गुलामी में नहीं, आजादी से जियो,
लिमिट में नहीं अनलिमिटेड जिओ,
कल जी लेंगे इस ख्याल में मत रहो,
क्या पता आपका कल हो ना हो।
कितनी दूर जाना है पता नहीं ,
कितनी दूर तक चलेगी पता नहीं,
लेकिन कुछ ऐसा कर जाना है,
तुम हो ना हो, फिर भी तुम रहो।
कहीं धूप तो, कहीं छाव है,
कहीं दुख तो, कहीं सुख है,
हर घर की यही कहानी है,
यह रीत पुरानी है।
©D.J. Prajapati
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