आज ये तारे बिना चाँद के आए कैसे ये सोच सोच कर मैं | हिंदी ਕਵਿਤਾ
"आज ये तारे बिना चाँद के आए कैसे
ये सोच सोच कर मैं परेशान थी
अचानक एक तारा बोला
सज धज कर आओगी तो
चाँद कहां नज़र आएगा
वो तो बस तेरी साजन की
आँखों में छिपा बैठा होगा"
आज ये तारे बिना चाँद के आए कैसे
ये सोच सोच कर मैं परेशान थी
अचानक एक तारा बोला
सज धज कर आओगी तो
चाँद कहां नज़र आएगा
वो तो बस तेरी साजन की
आँखों में छिपा बैठा होगा