कैसे शहर में आया हूँ जहां सहर नहीं होती, तेरे बिन | हिंदी Poetry Video

"कैसे शहर में आया हूँ जहां सहर नहीं होती, तेरे बिन बर्फीली रातें मुझसे बसर नहीं होती...!! आँखों में ना जाने कैसा रेगिस्तां आ के ठहरा है, अश्क बरसते रहते हैं पर पलकें तर नहीं होती...!! माना के हम में तुम में अब सारी बातें बदल गयीं, अब जाड़े की सिहरन में यादों की धूप गुज़र नहीं होती...!! मैंने कहा के ठीक हूँ मैं और तूने यूँ ही मान लिया, अब क्या तुझको सिसकियों की मेरी खबर नहीं होती...!! ©Pawan Dvivedi "

कैसे शहर में आया हूँ जहां सहर नहीं होती, तेरे बिन बर्फीली रातें मुझसे बसर नहीं होती...!! आँखों में ना जाने कैसा रेगिस्तां आ के ठहरा है, अश्क बरसते रहते हैं पर पलकें तर नहीं होती...!! माना के हम में तुम में अब सारी बातें बदल गयीं, अब जाड़े की सिहरन में यादों की धूप गुज़र नहीं होती...!! मैंने कहा के ठीक हूँ मैं और तूने यूँ ही मान लिया, अब क्या तुझको सिसकियों की मेरी खबर नहीं होती...!! ©Pawan Dvivedi

#SunSet यादें

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