एक कहानी हुई कहानी शुरू फिर
उसकी एक झलक पाकर
पा बैठा मैं साथी अपना
खो बैठा था जो राहों पर
जो मुस्कान छलकती उस पर
करूं बयां कैसे शब्दों में
अब बन गई वह जरिया जीने का
जो थोड़ा मीलों पीछे था
जो हस्ती में था खो बैठा
एक अंधियारे गलियारे में
आकर उसने ज्योति जलाई
और पा बैठा मैं उस में खुद को
प्रकाश तेज सब प्रतिबिंब है उसके
है नाम खुद उसका उजियारा
बस बिखेर रही किरणें अब यू
हटा रही जीवन का अंधियारा
एक कहानी हुई शुरू फिर
उसकी एक झलक पाकर
#DilKiKalamSey #JayantSharma'sPoetry
एक कहानी हुई कहानी शुरू फिर
उसकी एक झलक पाकर
पा बैठा मैं साथी अपना
खो बैठा था जो राहों पर
जो मुस्कान छलकती उस पर
करूं बयां कैसे शब्दों में
अब बन गई वह जरिया जीने का
जो थोड़ा मीलों पीछे था