New Ghazal अभी खामोश हूं बोला नहीं हूं जबान रखत | हिंदी शायरी

"New Ghazal अभी खामोश हूं बोला नहीं हूं जबान रखता भी हूं गूंगा नहीं हूं तेरी हर गलतियों को देखता हूं नकाब आंखों पर है अंधा नहीं हूं तू कह के कर तुझे जो भी हो करना तेरी परवाज को रोका नहीं हूं गलत कामों से है तकलीफ मुझको' गलत राहों प मैं चलता नहीं हूं अगर है प्यार तो रुसवाई मत कर झुका हूं इश्क में डरता नहीं हूं ©Qaseem Haider Qaseem"

 New Ghazal 

अभी खामोश हूं बोला नहीं हूं 
जबान रखता भी हूं गूंगा नहीं हूं

तेरी हर गलतियों को देखता हूं 
नकाब आंखों पर है अंधा नहीं हूं 

तू कह के कर तुझे जो  भी हो करना 
तेरी परवाज को रोका नहीं हूं

गलत कामों से है तकलीफ मुझको'
गलत राहों प मैं चलता नहीं हूं 

अगर है प्यार तो रुसवाई मत कर
 झुका हूं इश्क में डरता नहीं हूं

©Qaseem Haider Qaseem

New Ghazal अभी खामोश हूं बोला नहीं हूं जबान रखता भी हूं गूंगा नहीं हूं तेरी हर गलतियों को देखता हूं नकाब आंखों पर है अंधा नहीं हूं तू कह के कर तुझे जो भी हो करना तेरी परवाज को रोका नहीं हूं गलत कामों से है तकलीफ मुझको' गलत राहों प मैं चलता नहीं हूं अगर है प्यार तो रुसवाई मत कर झुका हूं इश्क में डरता नहीं हूं ©Qaseem Haider Qaseem

#Sad_Status New Ghazal

अभी खामोश हूं बोला नहीं हूं
जबान रखता भी हूं गूंगा नहीं हूं

तेरी हर गलतियों को देखता हूं
नकाब आंखों पर है अंधा नहीं हूं

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