वो जमाना खूब था उसमे थी खुशियाली दिखती
पहले अख़बार बिकते थे अब बस खबरे बिकती
झूठी वाली खबरों का झूठा सा मायाजाल है
झूठ सहारे देश चले सच दिखता फटेहाल है
अंधभक्तों की नगरी है और यहाँ का चौपट राजा है
हर पांच साल बस यही रहे ये लोगो का तकाज़ा है
रोजगार घटा महंगाई बढ़ी रूपया गिरता घड़ी घड़ी
हर बार वोट के नाम पर जनता से होती धोखा धड़ी
अब गाँव तक शहरों के नेताओं का लगाव आया है
लगता मेरे शहर मे फिर से चुनाव आया है
गरीब की टूटी थाली मे फिर से पुलाव आया है
लगता है मेरे शहर मे फिर से चुनाव आया है
©दक्ष आर्यन
#election
लगता है मेरे शहर मे फिर से चुनाव आया है