अत्याचार
अत्याचार की दुकान
बन रहा अपना हिन्दुस्तान
पल रहे कितने बेईमान
कर रहे इसको शमशान
बेशर्मी को लिया बांध
अपराधों को लिया टांग
दिखा रहे अपनी खुली हुई जांघ
और कर रहे इसको जबरन बदनाम
संकट में है अब लाज
आते नहीं अब भी बाज
कब तक सहेगा ये समाज
बढ़ रहा जुर्म का ये राज
न सुरक्षा का इंतजाम
खुले घूम रहे हैं सांड
वो भी बिलकुल बेलगाम
कैसे होगा समाधान
अत्याचार की दुकान
बन रहा अपना हिन्दुस्तान
पल रहे कितने बेईमान
कर रहे इसको शमशान
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देवेश दीक्षित
©Devesh Dixit
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अत्याचार
अत्याचार की दुकान
बन रहा अपना हिन्दुस्तान
पल रहे कितने बेईमान
कर रहे इसको शमशान