White मांगा नहि हुं तेरे हिस्से का आसंमान, खुदगर्ज | हिंदी शायरी

"White मांगा नहि हुं तेरे हिस्से का आसंमान, खुदगर्ज इतना भि नहि हुं ये जो कदमो के फासले मिटादु, इतना भि बेगैरत नहि हुं एक हि कस्ति में सवार है, साथ चलने का भ्रम जो है..... ©Ajit Shankar"

 White मांगा नहि हुं तेरे हिस्से का आसंमान,
खुदगर्ज इतना भि नहि हुं
ये जो कदमो के फासले मिटादु,
इतना भि बेगैरत नहि हुं
एक हि कस्ति में सवार है,
साथ चलने का भ्रम जो 
है.....

©Ajit Shankar

White मांगा नहि हुं तेरे हिस्से का आसंमान, खुदगर्ज इतना भि नहि हुं ये जो कदमो के फासले मिटादु, इतना भि बेगैरत नहि हुं एक हि कस्ति में सवार है, साथ चलने का भ्रम जो है..... ©Ajit Shankar

#sad_shayari

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