ऐसे रिश्ते निभा रहा हूं मैं जैसे नेकी .....कमा रहा | हिंदी Shayari

"ऐसे रिश्ते निभा रहा हूं मैं जैसे नेकी .....कमा रहा हूं मैं अब ज़बान बंद अपनी रखता हु सबको खुद से बचा रहा हूं मैं कौन अच्छा बुरा आजी छोड़ो गले सबको लगा रहा हूँ मैं सबको अच्छा मानकर उस्मानी खुद को बेहतर बना रहा हूं मैं ©Usmani's poetry (paapi)"

 ऐसे रिश्ते निभा रहा हूं मैं
जैसे नेकी .....कमा रहा हूं मैं

अब ज़बान बंद अपनी रखता हु
सबको खुद से बचा रहा हूं मैं

कौन अच्छा बुरा आजी छोड़ो
गले सबको लगा रहा हूँ मैं

सबको अच्छा मानकर उस्मानी
खुद को बेहतर बना रहा हूं मैं

©Usmani's poetry (paapi)

ऐसे रिश्ते निभा रहा हूं मैं जैसे नेकी .....कमा रहा हूं मैं अब ज़बान बंद अपनी रखता हु सबको खुद से बचा रहा हूं मैं कौन अच्छा बुरा आजी छोड़ो गले सबको लगा रहा हूँ मैं सबको अच्छा मानकर उस्मानी खुद को बेहतर बना रहा हूं मैं ©Usmani's poetry (paapi)

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