क्यों बैठा है धरे अपने हाथ पे हाथ
उठ खड़ा हो और अपने जीवन
का एक सुंदर सा लक्ष्य बना
लक्ष्य हो तेरे जीवन का ऐसा की
बड़ी से बड़ी चट्टान भी धूल बन जाए
समस्याएं और कठिनाइयां आती रहेगी जीवन के हर एक पल में
ये तो जीवन के नए रूप रंग है
पर हमें क्या इनको देख डर जाना है....?
नहीं... , उठ खड़ा हो और अपने जीवन का एक लक्ष्य बना
मन में तेरे उम्मीद की एक किरण समा
होगा एक न एक दिन सफल
तू अपनी जिंदगी में इस कदर
ये चट्टान भी तुझको धूल नजर आएगी
पर करना होगा उसके लिए तुझे अभी एक छोटा सा प्रयास
उठ खड़ा हो और सबसे पहले अपने जीवन का एक लक्ष्य बना........
#कविता
#जीवन का एक लक्ष्य#
कवि : सोनू प्रजापत
#jivankaalakshay
#जीवनकालक्ष्य