White {Bolo Ji Radhey Radhey}
चाहे शगुन व निर्गुण रुप मे भगवान श्री कृष्ण जी की उपासना से गुणातीत ब्रह्म की प्राप्ति होती है। यों तो गुणातीत का वर्णन नित्य, ज्ञान, अनन्त आदि शब्दोंसे किया गया है पर वास्तव में उसका स्वरूप वाणीbद्वारा नहीं बताया जा सकता, वह तो अचिन्त्य और अनिर्वचनीय है। अन्तमें वेद भी 'नेति-नेति' कहकर ही बतलाता है। वह अनुमान प्रमाण से भी नहीं जाना जा सकता, केवल अनुभव रूप ही है। क्योंकि समस्त प्रमाण उस ब्रह्म के सकाश से ही सिद्ध होते हैं। श्रुति कहती है-
©N S Yadav GoldMine
#sad_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey}
चाहे शगुन व निर्गुण रुप मे भगवान श्री कृष्ण जी की उपासना से गुणातीत ब्रह्म की प्राप्ति होती है। यों तो गुणातीत का वर्णन नित्य, ज्ञान, अनन्त आदि शब्दोंसे किया गया है पर वास्तव में उसका स्वरूप वाणीbद्वारा नहीं बताया जा सकता, वह तो अचिन्त्य और अनिर्वचनीय है। अन्तमें वेद भी 'नेति-नेति' कहकर ही बतलाता है। वह अनुमान प्रमाण से भी नहीं जाना जा सकता, केवल अनुभव रूप ही है। क्योंकि समस्त प्रमाण उस ब्रह्म के सकाश से ही सिद्ध होते हैं। श्रुति कहती है-